..Ant Bhalaa To Sab Bhalaa...


"अभी दो लप्पड़ लगायेंगे तो सारा इसक-मोहब्बत बाहर आजायेगा! सुन रही हो...इसे पडोसी कि छोरी से प्यार हो गया है! का नाम है उसका...हाँ लक्ष्मी!!"

"बाबा हम कह दिये हैं शादी करेंगे तो उसी से करेंगे |"

अनूप से रुका नहीं गया | पास आकर अमित का कॉलर पकड़ कर बोला
"बिलकुल भी समझ नहीं है क्या...बाबा के सामने ऊटपटांग बोल रहा है | पूरा गाँव एक परिवार होता है, और गाँव कि हर लड़की हमारी बहन के समान होती है | ताऊ जी को पता चलेगा तो खाल उधेड़ लेंगे तेरी | "

अमित देखने में अपने बड़े भाई अनूप से ज्यादा बलवान दिखता था पर जब मार खाने कि बारी आती तो पता चल जाता कि अनूप ही बड़ा भाई है |

अमित को उम्मीद थी उसका भाई उसका साथ देगा पर उसने तो बाबा को सब कुछ बता दिया | और एसा ही कुछ हाल लक्ष्मी के घर का भी था | लक्ष्मी कि ज़िद का असर कुछ यूँ हुआ की तीन महीने में ही उसके हाथ पीले कर दिये गए |
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इस घटना को ढाई साल बीत गए |बड़े भाई अनूप ने पुणे के एक कॉलेज में MCA में दाखिला ले लिया था, और अब आखिरी सेमिस्टर आ चुका है| एक दिन अम्मा का फोन आया, बोलीं "अमित को कल फिर दौरा पड़ा | तुम्हारे बाबा पर चिल्लाए लगा | मुझपर भी हाथ उठाया फिर विश्वास और विवेक को बुला कर हाथ पैर बंधवा कर दो घंटे रखा तब जाकर शांत हुआ है | पढाई तो छोड़ ही दी थी अब तो खेत पर भी नहीं जाता, पूरे दिन घर पर ही पड़ा रहता है | ऊपर वाला हमें किस बात की सजा दे रहा है |"

"अवस्थी सर से बात करी अम्मा?" अनूप बोला |

"डॉक्टर साहब ने कहा है की वही दवाई चलाते रहो | तुम्हारे बाबू जी कतराते हैं दवा देने से, कहतें हैं की पूरे पूरे दिन चुपचाप बैठा रहता है" अम्मा ने गहरी सांस लेते हुए कहा |
"अम्मा अभी दो महीने बाद दिवाली है, सोच रहा हूँ इस बार मैं दिवाली पर घर आऊंगा तो अमित को अपने साथ यहीं ले आऊंगा | थोडा उस माहौल से बाहर रहेगा तो ठीक हो जायेगा |" अनूप का सुझाव अम्मा को भी ठीक लगा |

काफी न नुकुर के बाद अमित अनूप के साथ पुणे आ ही गया | अनूप यहाँ कुछ लड़कों से साथ रहता था और अब उन सबके बीच अमित भी रहने लगा| अमित किसी से बात नहीं करता, पूरे दिन या तो टीवी देखता या फिर सोता रहता | एक दिन अनूप से आकर बोला..."हमे गाँव जाना है, अम्मा की याद आती है | कुछ दिन रह कर वापस आजायेंगे |" अनूप जानता था की यह अमित का बहाना है यहां से जाने के लिए | गाँव जाकर वह फिर वापस आने वाला नहीं है इसलिए अनूप ने मना कर दिया |

अगले दिन सुबह जब सब सोकर उठे तो पता चला की अमित घर से जा चुका है |
अनूप का एक दोस्त रेलवे स्टेशन गया, एक दोस्त बस स्टैंड और अनूप खुद उन जगहों पर जाकर देखने लगा जहां अमित अक्सर अकेले चला जाया करता था | अमित के पास न तो पैसे थे और न ही कोई फोन | पूरे दिन की तलाश के बाद पुलिस स्टेशन में कम्प्लेंट लिखा कर सब घर लौट आये | अनूप और उसके दोस्तों ने सुबह से कुछ भी नहीं खाया था पर अनूप को चिंता थी की अमित ने भी कुछ नहीं खाया होगा | कहां होगा क्या कर रहा होगा | रात के नौ बजे जब सब उदास बैठे थे और सोचने मे लगे थे की और कहां ढूँढा जाए तब ही दरवाज़े पर दस्तक हुई | दरवाज़ा खोला तो सामने अमित खड़ा था, पसीने से तर बतर | अमित जैसे ही घर में घुसा तभी अनूप ने उसकी पीठ पर घूँसा मारा और पलंग पर गिरा कर उसका हाथ मोड़ कर बोला...
"जायगा अब ! पता चल गया ये पुणे है गाँव नहीं है की कहीं भी गए और सही सलामत लौट आये | मुझे तो शक होता है तू पागल है भी या सिर्फ नौटंकी करता है!!"

"तुम हमें गाँव क्यूँ नहीं जाने देते हो?"
"क्या करेगा गाँव जाकर! अम्मा बाबा की छाती पे मूंग दलेगा?"
"शादी करूंगा !"
"क्या??"
"शादी !! शादी करूँगा!!"

अनूप उसकी बात पर सोचने लगा 'वैसे सुझाव बुरा नहीं है अगर इसकी शादी हो जायेगी तो शायद इसका पागलपन भी कम हो जाए, मैं कल ही अम्मा से बात करता हूँ |'
अनूप इसी सोच में था और पकड़ ढीली होते ही अमित ने अनूप को पलटी दे दी |
"कौन ताकतवर हैं तुम की हम | मारोगे तो हाथ तोड़ देंगे |"
अनूप को हंसी आगई |
............
अमित घर आगया और इस बात को छह महीने भी गुज़र गए | अनूप के पास अम्मा का फोन आया | "लला अमित अब ठीक हो गया लगे है | बाबा के साथ खेत पर भी जाने लगा है | बहू घर का सारा काम करती है, मुझे तो हाथ भी नहीं लगाने देती |"

"और अवस्थी सर क्या कह रहें हैं? दवाई बंद कर दी या चल रही है?" अनूप ने पूछा |
अम्मा हसने लगीं "अवस्थी साहेब तो कह रहे थे की उनकी रोज़ी छीन ली हमने अमित की सादी करवा के | न दवाई की ज़रुरत पड़े है और न ही हाथ पाओं बाँधने की | अब खुसियाँ लौट रहीं है लला | अंत भला तो सब भला |"

"अच्छा अम्मा अभी फोन रखता हूँ, अभी ऑफिस में हूँ " अनूप ने कहा |
तब ही अम्मा को कुछ याद आया "अरे एक खुसखबरी तो सुन ले, तू ताऊ बनने वाला है |"
"क्या !! सच! "
.................
इस बात को तीन महीने गुज़र गए | घर में खुशियाँ लौट आयी थीं | अनूप को अपने ऑफिस कि एक लड़की से प्यार भी हो गया और उसपर यह दबाव आ गया कि वह अपने घर पर जल्द ही शादी कि बात करे| अनूप का प्रोमोशन हो गया था, तनख्वाह भी बढ़ गयी और यह वक़्त शादी कि बात करने के लिए एक दम सही था | दिल थाम कर उसने अम्मा के मोबाइल पर कॉल किया....

"अम्मा?"
"लला !"
"अम्मा!! मेरा प्रोमोशन हो गया है!! 7000 रुपए तन्खाव बढ़ी है | बाबा कहाँ हैं? उनको फोन दो |"

"बेटा वो पुलिस स्टेशन गए हैं |" अम्मा की आवाज़ भारी थी |

"पुलिस स्टेशन ? क्यूँ??"

"अमित घर से भाग गया है | क्या करूँ?  मर जाऊं कहीं जा के|" अम्मा रोते हुए बोलीं |

"अरे रो मत अम्मा, परेशान मत हो वो लौट आएगा | यहां पर भी भागा था लौट आया था शाम को |"

"वो अब न लौटने वाला |"

"क्यूँ?"

"अकेला नहीं भागा है...पडोसी की छोरी लक्ष्मी को लेकर भगा है नासपीटा | "
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5 comments:

विभा रानी श्रीवास्तव said...

सही है ... जो शुरू में नहीं हो सका ... अंत भला तो सब भला ... !!

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 13/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Nidhi said...

प्यार करना आज भी..गुनाह सरीखा ही है...समाज में.

ANULATA RAJ NAIR said...

बढ़िया लेखन....

शुभकामनाएं
अनु

Lams said...

Aap sabka bahut bahut shukria

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